मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना Mukhyamantri Jal Swavlamban Yojana

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना


मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना को चलाने के पीछे बहुत बढ़िया एक वजह थी कि प्रदेश में जल की कमी सूखा आदि का गहरा प्रभाव था. थार मरुस्थल में कई क्षेत्रों में जल की बहुत कमी थी पानी के लिए कई मील दूर चल कर जाना पता था. पीने के लिए भी पानी नहीं मिल पाता था. इसी में खेती का नाम भी बहुत मुश्किल हो गया था. अधिकतर पानी की समस्या गर्मियों में बहुत होती है. 

पानी की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना जनवरी 2016 में चलाई गई थी. इस योजना के तहत पानी की बूंद बूंद को बचाना है. पानी को व्यर्थ ना करना है. वर्षा के पानी को एकत्र कर उसका सदुपयोग करना है. जिन प्रदेशों में पानी की ज्यादा समस्या होती है उन क्षेत्रों में पानी पहुंचाना है. वह जल संरक्षण करना है, इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ किसानों पशुपालकों व पशुओं को मिलेगा वह उनकी सभी जरूरतें पूरी हो सकेंगी.


इसकी शुरुआत दो चरणों में हुई.

1. मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना की शुरुआत जनवरी 2016 में हुई और खत्म जून 2016 में हुई. इसके तहत गांव में पुरानी जल संस्थान संसाधनों की मरम्मत करना व ने जल संसाधन बनाना. जैसे एनीकट टांके आदि अरुण जलाशयों के चारों तरफ पेड़ पौधे लगाना भी है. वरुण पेड़ पौधों को 5 साल तक सुरक्षित रखना इस योजना की जिम्मेदारी है. इस योजना के अंतर्गत 529 गांव आते हैं. इस योजना में भू संरक्षण पंचायती राज मनरेगा कृषि उद्यान वन संरक्षण आदि इनकी भागीदारी. सरकारी विभागों सामाजिक व धार्मिक समूह व आमजन को सुनिश्चित की गई है. इस अभियान के पहले चरण में 1270 करोड रुपए हे 94000 गांव मे जल संरक्षण कार्य हुआ. यह कार्य सफल रहा वर्षा के जल को सुरक्षित करना सफल रहा.


2. मुख्यमंत्री जल स्वालंबन योजना के दूसरे चरण की शुरुआत 9 दिसंबर 2016 को हुई  इस योजना के तहत 4200 गांवों को लाभ मिला. उन गांव में जल संरक्षण के नए-नए संसाधन बनाए गए. और पुराने संसाधनों की मरम्मत की गई. साथ ही रूफटॉप वाटर हार्वेस्टिंग और पर कोलेशन टैंक का भी कई गांव में निर्माण किया गया. मैं उन को संभालने की जिम्मेदारी भी इसी योजना को दी गई है.


सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक लगभग 21000 गांव तकिया योजना पहुंच चुकी. नए गांव में इस योजना से काफी लाभ हुआ है. उनकी खेती पहले के बीच ज्यादा हो रही है. और पशुपालन को को भी जानवरों को कम खोना पड़ रहा है. पानी की वजह से अब पालतू जानवरों की मौत भी नहीं हो रही है. वह भूमि का जलस्तर भी बढ़ रहा है. इस योजना की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ ग्रामीण वासियों को भी दी गई है. जिससे कि वह सरकारी जल संरक्षण संसाधनों की सुरक्षा करें.

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