यशोधर बाबू के चरित्र की विशेषताएं लिखिए? Yashodhar babu ke charitra ki visestaye likhiye
सवाल: यशोधर बाबू के चरित्र की विशेषताएं लिखिए?
यशोधर बाबू 'सिल्वर वैडिंग' नामक कहानी के चरित्रनायक हैं। वे नए परिवेश में मिसफिट होने की त्रासदी झेलते हुए परम्परापंथी और सिद्धांतवादी व्यक्ति हैं। उनका चरित्र-चित्रण इस प्रकार है:
- संस्कारी- यशोधर बाबू परम्परावादी और संस्कारी व्यक्ति हैं। वे अपनी पुरानी आदतों और संस्कारों से बंधे हुए हैं। उनका वर्तमान उनके संस्कारों से मेल नहीं खाता। वे भारतीय संस्कृति, पूजा-पाठ, भक्ति, रामलीला, रिश्तेदारी, अपनत्व, सादगी और सरलता को अपनाना चाहते हैं।
- पाश्चात्य संस्कृति के विरोधी - यशोधर बाबू पाश्चात्य संस्कृति के नाम पर मनमानी करने, उच्छृंखल होने, कम कपड़े पहनने और नए-नए उपकरणों को अपनाने के विरोधी हैं। उन्हें अपनी शादी की 'सिल्वर जुबली' मनाना, पत्नी या बेटी का आधुनिक कपड़े पहनना आपत्तिजनक लगता है। वास्तव में उनके संस्कार उन्हें अपनी तरह जीने के लिए प्रेरित करते हैं। अतः वह इन संस्कारों को 'समहाउ इंप्रापर' कहते हैं।
- सादगी पसंद- यशोधर बाबू सरल-सादी, रिश्ते-नातों वाली शांत-सुरक्षित जिंदगी जीना चाहते हैं। वे अपने गाँव, परिवेश, धर्म और समाज की परम्पराओं को भी निभाना चाहते हैं। वे अपनी बहन और बहनोई के सुख-दुःख में भागीदार होना चाहते हैं।
- धार्मिक प्रवृत्ति- यशोधर बाबू धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। वे ऑफिस के बाद प्रतिदिन बिड़ला मन्दिर जाते हैं, वहाँ बैठकर प्रवचन सुनते और ध्यान लगाते हैं। अपने घर पर होली गवाना, जनेऊ बदलने में कुमाऊँनियों को अपने घर आमंत्रित करना, रामलीला वालों को क्वार्टर का एक कमरा देना आदि परम्परावादी कार्य उन्हें बहुत अच्छे लगते हैं।
- आदर्श पिता- यशोधर बाबू चारों ओर के विरोध के बावजूद पिता का कर्तव्य पूरी तरह निभाते हैं। वे अपने बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा दिलाते हैं। वे उन्हें मानवीय रिश्तों और समाज-संस्कृति से जोड़ने का भी भरसक प्रयत्न करते हैं।
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