प्राथमिक एवं द्वितीयक समूह में अंतर स्पष्ट कीजिए? Prathmik evam dvitiyak samuh mein antar spasht kijiye
सवाल: प्राथमिक एवं द्वितीयक समूह में अंतर स्पष्ट कीजिए?
प्राथमिक समूह और द्वितीयक समूह दो अलग-अलग प्रकार के समूह हैं। प्राथमिक समूह एक छोटा और अवर्गीकृत समूह होता है जिसमें सदस्यों का संख्यात्मक आकार कम होता है। इस प्रकार के समूह में संगठन, कमांड और निर्धारित अधिकार सामान्यतः एक अध्यक्ष या नेतृत्व द्वारा निर्दिष्ट किए जाते हैं। यह सामान्यतः आपसी सम्बन्ध, साझा उद्देश्य और साझा हितों पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए, एक छोटा कार्यकारी समिति, एक क्लब या एक परिवार प्राथमिक समूह की मिसालें हो सकती हैं।
द्वितीयक समूह, विपणन रणनीति, व्यवस्थापन, और बड़े परियोजनाओं के लिए उपयोग होता है। यह समूह बड़े संख्यात्मक आकार और विशेषज्ञता के साथ होता है और सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता रखता है। द्वितीयक समूह के सदस्यों के बीच सहयोग, संघटना, और भूमिका वितरण का एक मजबूत प्रतिष्ठान होता है। यह सामान्यतः व्यापारिक, सामाजिक या सरकारी संगठनों में पाया जाता है, जहां बड़े परियोजनाओं की योजना, कार्यवाही और प्रबंधन की जरूरत होती है।
संक्षेप में कहें तो, प्राथमिक समूह छोटा, अवर्गीकृत और साधारणतया आपसी सम्बन्धों पर आधारित होता है, जबकि द्वितीयक समूह बड़ा होता है और विशेषज्ञता और संगठन के साथ सामूहिक निर्णय लेता है।
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