लेखक को ऐसा क्यों लग रहा था कि हम इंजन के भीतर बैठे हैं?
Monday, September 27, 2021
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सवाल: लेखक को ऐसा क्यों लग रहा था कि हम इंजन के भीतर बैठे हैं?
लेखक को ऐसा इसलिए लगा क्योंकि लेखक के अनुसार बस बहुत पुरानी और खटारा थी। जिसके कारण वह बस जब स्टार्ट होती तो बहुत ज्यादा शोर करती थी। तुम मानो लेखक को ऐसा लग रहा था की इंजन आगे नहीं अपितु पूरी बस में लगा हो। क्योंकि उस बस का इंजन बहुत दयनीय था। जिसके कारण वह पूरी बस हिल रही थी, इसीलिए उन्हें लगा कि पूरी बस ही इंजन है और हम भी इंजन के भीतर बैठे हैं।
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