उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति के क्या कारण थे? Uttar vyavaharvad ki utpatti ke kya karan hai

उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति के क्या कारण थे?


सवाल: उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति के क्या कारण थे?

उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति के कई कारण थे। इसमें विभिन्न आधारभूत तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पहले, उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति परंपरागत प्रकार के व्यवहारवाद की प्रतिक्रिया के रूप में हुई। प्राचीन व्यवहारवाद ने परंपरागत संस्कृति, सामाजिक नियम और परंपराओं को प्रोत्साहित किया था, जो समाजी और सांस्कृतिक संरचना को संभालने में मदद करती थी।


दूसरे, उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति में प्राचीन ग्रीक दार्शनिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सोक्रेटीज, प्लेटो, और अरिस्टॉटल के द्वारा विकसित नए तर्कशक्ति के सिद्धांतों ने व्यक्तिगत विचार और तर्क की प्राधान्यता को प्रभावित किया। इन दार्शनिकों ने नये सवालों का समाधान करने के लिए पुराने धार्मिक और सामाजिक परंपराओं को परीक्षण के लिए प्रेरित किया।


तृतीयतः, प्राचीन यूनानी और रोमन साहित्य ने उत्तर व्यवहारवाद के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्राचीन कवियों, नाटककारों, और विचारशील लोगों ने संविधानिक, नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार किया और विवादास्पद विचारों को साझा किया। इससे उत्तर व्यवहारवादी विचारधारा का विकास हुआ, जिसने नए दृष्टिकोण, नए विचार और व्यापक चर्चाओं का मार्ग दिखाया।


यह सभी कारण संगठित तरीके से मिलकर उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक नई दार्शनिक परियोजना की शुरुआत हुई। यह नया दार्शनिक आदान-प्रदान व्यवस्था मनुष्य की सोच, सामाजिक संबंध, और संसाधनों के उपयोग पर नए प्रकार के सवालों को उठाने का माध्यम बन गया।

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