कर्म के सभी प्रकारों का वर्णन कीजिए? Karm ke sabhi parkar ka varnan kijiye
सवाल: कर्म के सभी प्रकारों का वर्णन कीजिए?
कर्म, संस्कृत भाषा में "क्रिया" का अर्थ है और व्याकरण में इसे तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है: क्रिया विशेषण (क्रिया-विशेषण), क्रिया विशेषण (क्रिया-विशेषण) और क्रिया नाम (क्रिया-नाम)।
1. क्रिया विशेषण (क्रिया-विशेषण): यह क्रिया के साथ काम करने वाले शब्द होते हैं जो उसके तत्व या अर्थ को बदलते हैं। उदाहरण के लिए: वह तेज चलता है। यहां "तेज" क्रिया के विशेषण है, क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे चल रहा है।
2. क्रिया विशेषण (क्रिया-विशेषण): इस प्रकार के क्रिया विशेषण को विशेषता या दशा को दर्शाने के लिए क्रिया के साथ रखा जाता है। उदाहरण के लिए: उसने धीरे से कहा। यहां "धीरे से" क्रिया के विशेषण है, क्योंकि यह दिखाता है कि वह कैसे बोला।
3. क्रिया नाम (क्रिया-नाम): यह वे शब्द होते हैं जो कार्य करने वाले को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए: नेता ने सभी सवालों का जवाब दिया। यहां "नेता" क्रिया के नाम है, क्योंकि यह व्यक्ति को दर्शाता है जिसने सवालों का जवाब दिया।
इस तरह से, कर्म के सभी प्रकार भाषा के व्याकरण में विभाजित होते हैं और वाक्यों में अद्भुत प्रभाव डालने में मदद करते हैं।
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