भक्ति काल का वर्गीकरण लिखिए? Bhakti kaal ka vargikaran likhiye
सवाल: भक्ति काल का वर्गीकरण लिखिए?
भक्ति काल को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है:
- सगुण भक्ति धारा
- निर्गुण भक्ति धारा
सगुण भक्ति धारा
सगुण भक्ति धारा में, भक्त भगवान की सगुण रूप की उपासना करते हैं। इस धारा के भक्त भगवान को एक व्यक्ति के रूप में मानते हैं, जो प्रेम, करुणा, न्याय और अन्य गुणों से युक्त हैं। इस धारा के प्रमुख संतों में कबीर, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, नानक देव, रामानंद, इत्यादि शामिल हैं।
निर्गुण भक्ति धारा
निर्गुण भक्ति धारा में, भक्त भगवान की निर्गुण रूप की उपासना करते हैं। इस धारा के भक्त भगवान को एक निराकार शक्ति के रूप में मानते हैं, जो सभी में व्याप्त है। इस धारा के प्रमुख संतों में शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, माधवाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, इत्यादि शामिल हैं।
इन दो मुख्य धाराओं के अलावा, भक्ति काल को कई अन्य आधारों पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे:
- भाषा के आधार पर - भक्ति काल के साहित्य को हिंदी, संस्कृत, अवधी, ब्रजभाषा, मैथिली, इत्यादि भाषाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
- भौगोलिक आधार पर - भक्ति काल के साहित्य को उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पूर्व भारत, इत्यादि भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
- समय के आधार पर - भक्ति काल को प्रारंभिक भक्ति काल, मध्यकालीन भक्ति काल, और उत्तरकालीन भक्ति काल के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
भक्ति काल का साहित्य हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस साहित्य ने भारतीय समाज और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है।
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