भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? Bhaktin apna vastavik naam logo se kyu chupati thi
सवाल: भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी?
भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से इसलिए छुपाती थी क्योंकि वह एक क्रांतिकारी थी और अपने जीवन को खतरे में डालना नहीं चाहती थी। वह एक दलित महिला थी और एक दलित महिला के लिए उस समय समाज में बहुत भेदभाव था। भक्तिन ने कई वर्षों तक क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया और कई बार गिरफ्तार भी हुई। वह जानती थी कि अगर उसका असली नाम किसी को पता चल गया तो उसे और उसके परिवार को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
भक्तिन ने अपना नाम बदलकर "भक्तिन" रखा, जिसका अर्थ है "भक्ति की महिला"। वह अपने नाम के माध्यम से यह दिखाना चाहती थी कि वह एक धार्मिक महिला है और वह अपने देश की सेवा करने के लिए अपनी भक्ति का उपयोग करना चाहती है। भक्तिन ने अपना असली नाम अपने करीबी दोस्तों और परिवार को बताया, लेकिन उसने आम लोगों से इसे छिपाया।
भक्तिन का असली नाम "विमला बाई" था। वह 1900 में एक दलित परिवार में पैदा हुई थीं। उन्होंने बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों को अपनाया। उन्होंने 1920 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुईं और कई आंदोलन में भाग लिया। वह 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल हुईं और गिरफ्तार हुईं।
भक्तिन एक महान क्रांतिकारी और समाज सुधारक थीं। उन्होंने अपने जीवन को देश की सेवा में समर्पित कर दिया। वह 1971 में 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
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