छायावाद का अर्थ, परिभाषा और छायावादी काव्य विशेषताओं का वर्णन करें। Chayavad ka arth paribhasha kavye visesta yoo ka varnan kijiye
सवाल: छायावाद का अर्थ, परिभाषा और छायावादी काव्य विशेषताओं का वर्णन करें।
छायावाद का अर्थ है, "प्रस्तुत के स्थान पर उसकी व्यंजना करने वाली छाया के रूप में अप्रस्तुत का कथन।" छायावादी काव्य की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें कवि अपनी भावनाओं और संवेदनाओं का मनोवैज्ञानिक और सूक्ष्म चित्रण करता है। छायावादी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया जाता है और उसे मानवीय भावनाओं और संवेदनाओं के साथ जोड़ा जाता है।
छायावाद की परिभाषा इस प्रकार है:
- जयशंकर प्रसाद के अनुसार, "छायावाद कविता वाणी का वह लावण्य है जो स्वयं में मोती के पानी जैसी छाया, तरलता और युवती के लज्जा भूषण जैसी श्री से संयुक्त होता है। यह तरल छाया और लज्जा श्री ही छायावाद कवि की वाणी का सौंदर्य है।"
- सुमित्रानंदन पंत के अनुसार, "प्राकृतिक चित्रों में कवि की अपनी भावनाओं के सौंदर्य की और कवि की भावनाओं में प्रकृति सौंदर्य की छाया ही छायावाद है।"
- गंगाप्रसाद पाण्डेय के अनुसार, "विश्व की किसी वस्तु में अज्ञात सप्राण छाया की झाँकी पाना अथवा उसका आरोप करना ही छायावाद है।"
छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- आंतरिकता और आत्मपरकता: छायावादी काव्य की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें कवि अपनी भावनाओं और संवेदनाओं का मनोवैज्ञानिक और सूक्ष्म चित्रण करता है। छायावादी कविता में बाह्य जगत का वर्णन कम और आंतरिक मनोभावों का वर्णन अधिक होता है।
- प्रकृति का मानवीकरण: छायावादी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया जाता है और उसे मानवीय भावनाओं और संवेदनाओं के साथ जोड़ा जाता है। प्रकृति छायावादी कवियों के लिए एक माध्यम है, जिसके माध्यम से वे अपनी भावनाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करते हैं।
- कल्पना और प्रतीकात्मकता का प्रयोग: छायावादी कविता में कल्पना और प्रतीकात्मकता का व्यापक प्रयोग किया जाता है। छायावादी कवि कल्पना की शक्ति से अज्ञात और अमूर्त भावों और संवेदनाओं को व्यक्त करने का प्रयास करते हैं।
- भाषा का प्रयोग: छायावादी कविता में भाषा का प्रयोग अत्यंत सुंदर और प्रभावशाली होता है। छायावादी कवि भाषा की अभिव्यंजना शक्ति का भरपूर उपयोग करते हैं।
छायावादी काव्य ने हिंदी साहित्य में एक नए युग का सूत्रपात किया। छायावादी कवियों ने हिंदी कविता को एक नई दिशा दी और उसे समृद्ध बनाया। छायावादी कवियों में जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, और रामकुमार वर्मा प्रमुख हैं।
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