सच है जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता? Soch hai jab tak manushya bolta nahi tab tak uska gana-dosha prakat nahi
सवाल: सच है जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता?
हाँ, यह सच है कि जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता। मनुष्य के विचार, भावनाएँ, और मूल्य उसके बातचीत करने के तरीके से प्रकट होते हैं। जब कोई व्यक्ति बोलता है, तो वह अपने विचारों को दूसरों के सामने रखता है, और अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है। इस तरह, वह दूसरों को यह बताता है कि वह कौन है, और उसके मूल्य क्या हैं।
उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो हमेशा दूसरों के बारे में अच्छा बोलता है, वह एक दयालु और उदार व्यक्ति होने की संभावना रखता है। एक व्यक्ति जो हमेशा सच्चाई बोलता है, वह एक ईमानदार और निष्पक्ष व्यक्ति होने की संभावना रखता है। और एक व्यक्ति जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार होता है, वह एक मददगार और परोपकारी व्यक्ति होने की संभावना रखता है।
बेशक, यह हमेशा सही नहीं होता है कि कोई व्यक्ति जो अच्छा बोलता है, वह अच्छा व्यक्ति भी होता है। कुछ लोग दूसरों को प्रभावित करने के लिए या अपनी छवि को अच्छा बनाने के लिए झूठ बोलते हैं। लेकिन सामान्य तौर पर, किसी व्यक्ति की बातचीत उसके गुण-दोषों का एक अच्छा संकेत होती है।
बालकृष्ण भट्ट के निबंध "बाचचीत" में, लेखक ने इस बात पर जोर दिया है कि बातचीत एक महत्वपूर्ण कौशल है। उन्होंने कहा है कि बातचीत के माध्यम से ही हम दूसरों को समझ सकते हैं और उनके साथ संबंध बना सकते हैं। और बातचीत के माध्यम से ही हम अपने गुण-दोषों को प्रकट कर सकते हैं।
इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी बातचीत पर ध्यान दें। हम अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट और सटीक रूप से व्यक्त करने का प्रयास करें। और हम दूसरों के साथ सम्मान और सद्भावना से बात करें।
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