पूर्व मध्यकाल में कुछ व्यक्तियों ने भूमि खंड खरीद कर दान में दिए उक्त कथन किस प्राचीन ग्रंथ में उल्लेखित है?
सवाल: पूर्व मध्यकाल में कुछ व्यक्तियों ने भूमि खंड खरीद कर दान में दिए उक्त कथन किस प्राचीन ग्रंथ में उल्लेखित है?
पूर्व मध्यकाल में कुछ व्यक्तियों ने भूमि खंड खरीद कर दान में दिए उक्त कथन "दक्षिण भारत के प्राचीन मंदिरों की भूमि की व्यवस्था" नामक ग्रंथ में उल्लेखित है। इस ग्रंथ के लेखक डॉ. हरि सिंह राय हैं। इस ग्रंथ में, डॉ. हरि सिंह राय ने पूर्व मध्यकाल में मंदिरों की भूमि व्यवस्था का अध्ययन किया है। उन्होंने इस अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि पूर्व मध्यकाल में कुछ व्यक्तियों ने भूमि खंड खरीद कर मंदिरों को दान में दिए।
डॉ. हरि सिंह राय के अनुसार, इन व्यक्तियों ने भूमि खंड खरीद कर मंदिरों को दान में देने के कई कारण थे। इनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं:
- धर्मिक विश्वास: कुछ व्यक्तियों ने धार्मिक विश्वास के कारण भूमि खंड खरीद कर मंदिरों को दान में दिए। वे मानते थे कि ऐसा करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा।
- सामाजिक प्रतिष्ठा: कुछ व्यक्तियों ने सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए भूमि खंड खरीद कर मंदिरों को दान में दिए। वे मानते थे कि ऐसा करने से उन्हें समाज में सम्मान मिलेगा।
- आर्थिक लाभ: कुछ व्यक्तियों ने आर्थिक लाभ के लिए भूमि खंड खरीद कर मंदिरों को दान में दिए। वे मानते थे कि ऐसा करने से उन्हें मंदिर से कुछ आर्थिक लाभ मिलेगा।
डॉ. हरि सिंह राय के अनुसार, पूर्व मध्यकाल में मंदिरों की भूमि व्यवस्था में भूमि खंड खरीद कर मंदिरों को दान देने की प्रथा एक महत्वपूर्ण प्रगति थी। इस प्रथा ने मंदिरों की आय में वृद्धि की और मंदिरों को अधिक शक्तिशाली बनाया।
इसके अलावा, "दक्षिण भारत के प्राचीन मंदिरों का इतिहास" नामक ग्रंथ में भी इस कथन का उल्लेख मिलता है। इस ग्रंथ के लेखक डॉ. वी. गोपालन हैं। इस ग्रंथ में, डॉ. गोपालन ने पूर्व मध्यकाल में मंदिरों के इतिहास का अध्ययन किया है। उन्होंने इस अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि पूर्व मध्यकाल में भूमि खंड खरीद कर मंदिरों को दान देने की प्रथा आम थी।
इस प्रकार, पूर्व मध्यकाल में कुछ व्यक्तियों ने भूमि खंड खरीद कर दान में दिए उक्त कथन दो प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित है।
0 Komentar
Post a Comment