गणगौर के उत्सव पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए? Gangaur ke utsav par ek vistrit tippani likhiye
सवाल: गणगौर के उत्सव पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए?
गणगौर का उत्सव
गणगौर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के निमाड़, मालवा, बुंदेलखण्ड और ब्रज क्षेत्रों का एक प्रमुख लोकपर्व है। यह चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन कुँवारी लड़कियाँ एवं विवाहित महिलाएँ शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए "गोर गोर गोमती" गीत गाती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिन्दूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान है। चन्दन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से पूजन करके भोग लगाया जाता है।
गणगौर की कथा
गणगौर की कथा के अनुसार, एक समय की बात है, भगवान शंकर, माता पार्वती एवं नारद जी के साथ भ्रमण हेतु चल दिए। वह चलते-चलते चैत्र शुक्ल तृतीया को एक गांव में पहुंचे। उनका आना सुनकर ग्राम कि निर्धन स्त्रियां उनके स्वागत के लिए थालियों में हल्दी व अक्षत लेकर पूजन हेतु तुरंत पहुंच गई । पार्वती जी ने उनके पूजा भाव को समझकर सारा सुहाग रस उन पर छिड़क दिया। वे अटल सुहाग प्राप्त कर लौटी। थोड़ी देर उपरांत धनी वर्ग की स्त्रियां अनेक प्रकार के पकवान सोने चांदी के थालो में सजाकर सोलह श्रृंगार करके शिव और पार्वती के सामने पहुंची। इन स्त्रियों को देखकर भगवान शंकर ने पार्वती से कहा तुमने सारा सुहाग रस तो निर्धन वर्ग की स्त्रियों को ही दे दिया। पार्वती जी ने कहा कि इन स्त्रियों ने मेरे प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति प्रकट की है, इसलिए मैंने उन्हें अटल सुहाग का वरदान दिया है।
गणगौर की पूजा विधि
गणगौर की पूजा विधि निम्नलिखित है:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- एक थाली में गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, चावल, फूल, मिठाई, और अन्य पूजन सामग्री रखें।
- थाली को एक चौकी पर रखकर उस पर ईसर जी और गणगौर की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- ईसर जी और गणगौर की प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं।
- फिर उन्हें दूध, दही, घी, शहद, चावल, फूल, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।
- ईसर जी और गणगौर की प्रतिमा या तस्वीर के सामने धूप, दीप, और कपूर जलाएं।
- ईसर जी और गणगौर की आरती करें।
- ईसर जी और गणगौर से सुख, समृद्धि, और अटल सुहाग का वरदान मांगें।
गणगौर के त्योहार का महत्व
गणगौर का त्योहार महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार महिलाओं के सुहाग और संतान की कामना से जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं शिव और पार्वती की पूजा करके उनसे अटल सुहाग का वरदान मांगती हैं।
इस त्योहार के माध्यम से महिलाओं का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी उजागर होता है। इस दिन महिलाएं अपने पारंपरिक परिधानों में सज-संवरकर एक-दूसरे के घर जाती हैं और गणगौर के गीत गाती हैं। इससे महिलाओं में आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना बढ़ती है।
गणगौर का त्योहार राजस्थान में विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में गणगौर की शोभायात्रा निकाली जाती है। इस शोभायात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।
गणगौर का त्योहार एक महत्वपूर्ण लोकपर्व है जो महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार महिलाओं के सुहाग और संतान की कामना का प्रतीक है।
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