रचना की दृष्टि से वाक्य कितने प्रकार के होते हैं? Rachna ki drishti se vakya kitne prakar ke hote hai
सवाल: रचना की दृष्टि से वाक्य कितने प्रकार के होते हैं?
रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
- सरल वाक्य: इसमें एक ही क्रिया होती है।
- संयुक्त वाक्य: इसमें दो या दो से अधिक सरल वाक्य किसी समुच्चयबोधक के प्रयोग से जुड़े होते हैं।
- मिश्र वाक्य: इसमें एक मुख्य वाक्य और एक या एक से अधिक आश्रित वाक्य होते हैं।
सरल वाक्य
सरल वाक्य में एक ही क्रिया होती है। इसमें एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है। उदाहरण:
- राम पढ़ता है।
- वह घर गया।
- आकाश नीला है।
संयुक्त वाक्य
संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्य किसी समुच्चयबोधक के प्रयोग से जुड़े होते हैं। समुच्चयबोधक दो या दो से अधिक शब्दों को जोड़ने वाले शब्द होते हैं। उदाहरण:
- राम पढ़ रहा है और श्याम खेल रहा है। (और समुच्चयबोधक)
- मैं खाना खाऊंगा या सो जाऊंगा। (या समुच्चयबोधक)
- राम पढ़ रहा है, परन्तु श्याम खेल रहा है। (परन्तु समुच्चयबोधक)
मिश्र वाक्य
मिश्र वाक्य में एक मुख्य वाक्य और एक या एक से अधिक आश्रित वाक्य होते हैं। मुख्य वाक्य वह वाक्य होता है जो अर्थ की दृष्टि से पूर्ण होता है। आश्रित वाक्य वह वाक्य होता है जो अपने अर्थ को पूर्ण करने के लिए मुख्य वाक्य पर निर्भर करता है। उदाहरण:
- राम, जो कि एक अच्छा लड़का है, पढ़ रहा है।
- मैंने जो पत्र पढ़ा था, वह बहुत ही रोचक था।
- वह घर गया, क्योंकि उसे बहुत जोर से भूख लगी थी।
0 Komentar
Post a Comment