ऊर्जा संरक्षण का नियम लिखिए? Urja sarkhan ka niyam likhiye
सवाल: ऊर्जा संरक्षण का नियम लिखिए?
ऊर्जा संरक्षण का नियम भौतिकी का एक प्रयोगाधारित नियम है। इसके अनुसार, किसी अयुक्त निकाय (isolated system) की कुल ऊर्जा समय के साथ नियत रहती है। अर्थात् ऊर्जा का न तो निर्माण सम्भव है न ही विनाश; केवल इसका रूप बदला जा सकता है।
उदाहरण के लिए, जब हम एक गेंद को ऊपर फेंकते हैं, तो गेंद की स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होती है। लेकिन गेंद के गिरने पर, स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। और जब गेंद जमीन से टकराती है, तो गतिज ऊर्जा ऊष्मा और ध्वनि में परिवर्तित हो जाती है।
ऊर्जा संरक्षण का नियम ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के समान है। लेकिन ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम केवल बंद निकायों पर लागू होता है, जबकि ऊर्जा संरक्षण का नियम सभी निकायों पर लागू होता है।
ऊर्जा संरक्षण का नियम हमारे दैनिक जीवन में कई जगहों पर देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, जब हम एक पंखा चलाते हैं, तो पंखे की मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है। और जब पंखा चलता है, तो यह वायु को गति प्रदान करता है। इस प्रकार, पंखे द्वारा विद्युत ऊर्जा का उपयोग करके वायु को गति प्रदान की जाती है।
ऊर्जा संरक्षण का नियम एक महत्वपूर्ण नियम है जो हमारे पर्यावरण की रक्षा में भी मदद करता है। उदाहरण के लिए, ऊर्जा संरक्षण के नियमों का पालन करके हम ऊर्जा की खपत को कम कर सकते हैं। इससे प्रदूषण में कमी आएगी और पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
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