भारतीय पुनर्जागरण के कारणों का वर्णन कीजिए? Bhartiya punarjagran ke karno ka varnan kijiye
सवाल: भारतीय पुनर्जागरण के कारणों का वर्णन कीजिए?
भारतीय पुनर्जागरण के कारण
भारतीय पुनर्जागरण 19वीं और 20वीं शताब्दी में भारत में सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलावों का एक दौर था। इस दौर में भारतीय समाज में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जिनमें शामिल हैं:
1. पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव: 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा भारत में पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली की स्थापना की गई। इस शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों को पश्चिमी विचारों, विज्ञान और तकनीक से परिचित कराया।
2. सामाजिक सुधार आंदोलन: 19वीं शताब्दी में भारत में कई सामाजिक सुधार आंदोलन हुए, जिनमें राजा राममोहन राय, महात्मा ज्योतिबा फुले, डॉ. अम्बेडकर, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, और स्वामी विवेकानंद जैसे नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन आंदोलनों ने जातिवाद, अस्पृश्यता, सती प्रथा, बाल विवाह, और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
3. धार्मिक सुधार आंदोलन: 19वीं शताब्दी में भारत में कई धार्मिक सुधार आंदोलन हुए, जिनमें रामकृष्ण मिशन, ब्रह्म समाज, और आर्य समाज जैसे संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन आंदोलनों ने धार्मिक कट्टरपंथ, अंधविश्वास, और रूढ़िवादिता के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
4. राष्ट्रीय आंदोलन: 19वीं शताब्दी के अंत में भारत में राष्ट्रीय आंदोलन का उदय हुआ। इस आंदोलन ने भारतीयों को एकजुट किया और उन्हें ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
5. साहित्य और कला का विकास: 19वीं और 20वीं शताब्दी में भारत में साहित्य और कला का विकास हुआ। इस दौर में कई महान लेखकों, कवियों, और कलाकारों ने जन्म लिया, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और समाज को समृद्ध किया।
निष्कर्ष:
भारतीय पुनर्जागरण कई कारकों का परिणाम था, जिनमें पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव, सामाजिक सुधार आंदोलन, धार्मिक सुधार आंदोलन, राष्ट्रीय आंदोलन, और साहित्य और कला का विकास शामिल हैं। इन कारकों ने भारतीय समाज में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए और भारत को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उदाहरण:
- राजा राममोहन राय ने सती प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- महात्मा ज्योतिबा फुले ने दलितों के उत्थान के लिए काम किया।
- डॉ. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया।
- स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति और दर्शन को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराया।
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