रस के कितने अंग होते हैं? Rash ke kitne ang hote hai
Thursday, February 01, 2024
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सवाल: रस के कितने अंग होते हैं?
रस के चार अंग होते हैं:
- स्थायी भाव: यह वह भाव है जो स्थायी रूप से हृदय में विद्यमान रहता है। यह भाव स्थायी इसलिए कहलाता है क्योंकि यह किसी भी बाहरी कारण से उत्पन्न नहीं होता है।
- विभाव: स्थायी भाव को उत्पन्न करने वाला कारण विभाव कहलाता है।
- अनुभाव: स्थायी भाव के कारण होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तन अनुभाव कहलाते हैं।
- संचारी भाव: स्थायी भाव के साथ उत्पन्न होने वाले क्षणिक भाव संचारी भाव कहलाते हैं।
इन चार अंगों के अतिरिक्त, रस के दो सहायक अंग भी होते हैं:
- अलंकार: अलंकार काव्य में सौंदर्य और प्रभाव उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
- छंद: छंद काव्य में लय और गति उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
रस के अंगों का संबंध:
- स्थायी भाव रस का आधार है।
- विभाव स्थायी भाव को उत्पन्न करता है।
- अनुभाव स्थायी भाव के कारण होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों को दर्शाता है।
- संचारी भाव स्थायी भाव के साथ उत्पन्न होने वाले क्षणिक भावों को दर्शाता है।
- अलंकार काव्य में सौंदर्य और प्रभाव उत्पन्न करता है।
- छंद काव्य में लय और गति उत्पन्न करता है।
उदाहरण:
- स्थायी भाव: प्रेम
- विभाव: प्रेमी-प्रेमिका का मिलन
- अनुभाव: प्रेमी-प्रेमिका के चेहरे पर मुस्कान, आँखों में चमक, हृदय में उत्साह
- संचारी भाव: हर्ष, उत्साह, लज्जा, स्नेह
- अलंकार: उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा
- छंद: कवित्त, सवैया
रस के अंगों का महत्व:
रस के अंगों का महत्व यह है कि वे रस की उत्पत्ति, विकास और परिणाम को दर्शाते हैं। इन अंगों के बिना रस की कल्पना नहीं की जा सकती।
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